शिकायत बोल

शिकायत बोल
ऐसा कौन होगा जिसे किसी से कभी कोई शिकायत न हो। शिकायत या शिकायतें होना सामान्य और स्वाभाविक बात है जो हमारी दिनचर्या का हिस्सा है। हम कहीं जाएं या कोई काम करें अपनों से या गैरों से कोई न कोई शिकायत हो ही जाती है-छोटी या बड़ी, सहनीय या असहनीय। अपनों से, गैरों से या फ़िर खरीदे गये उत्पादों, कम्पनियों, विभिन्न सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की सेवाओं, लोगों के व्यवहार-आदतों, सरकार-प्रशासन से कोई शिकायत हो तो उसे/उन्हें इस मंच शिकायत बोल पर रखिए। शिकायत अवश्य कीजिए, चुप मत बैठिए। आपको किसी भी प्रकार की किसी से कोई शिकायत हो तोर उसे आप औरों के सामने शिकायत बोल में रखिए। इसका कम या अधिक, असर अवश्य पड़ता है। लोगों को जागरूक और सावधान होने में सहायता मिलती है। विभिन्न मामलों में सुधार की आशा भी रहती है। अपनी बात संक्षेप में संयत और सरल बोलचाल की भाषा में हिन्दी यूनीकोड, हिन्दी (कृतिदेव फ़ोन्ट) या रोमन में लिखकर भेजिए। आवश्यक हो तो सम्बधित फ़ोटो, चित्र या दस्तावेज जेपीजी फ़ार्मेट में साथ ही भेजिए।
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सोमवार, 15 सितंबर 2014

परम्परा

पशु वध
मेनका जी या (मानेका) और इस सरकार को रोकता कौन है पशु वध पर रोक लगाने से। जंगल अब भी खूब कट रहे हैं- लक्ड़ी का फ़र्नीचर खूब बन-बिक रहा है। ट्रक भरभर कर लकड़ी आ रही है। पशु वध कड़ाई से रोको, जंगल बचाओ और लोगों को मांसाहार के नुकसान बताते हुए शाकाहारी बनने को प्रेरित करो। जब धूम्रपान-तम्बाकू-गुटखा के मामले में कड़े कदम उठा सकते हैं तो इस मामले में क्यों नहीं। गलत परम्पराएं बन्द भी की जा सकती हैं। ध्वनिविस्तारक (लाउडस्पीकर), रेडियो-टीवी-फ़िल्म, मोबाइल फ़ोन, कम्प्यूटर आदि तमाम चीजें किसी परम्परा का अंग नहीं हैं पर दशकों से उपयोग में लाई जा रही हैं। तो क्या कुर्बानी/बलि/ त्यौहार/आहार के लिए पशु वध/बलि की परम्परा को सख्ती से बन्द नहीं किया जा सकता। दरअसल एक ऐसा बड़ा वर्ग है जो पशु धन को नष्ट करके अपना धन्धा जमाए हुए है। मांस, चमड़े आदि की खपत-निर्यात से यह वर्ग भरपूर कमाई करता है।....कहने को बहु
त कुछ है पर किसे समझाएं, जिन्हें समझाना चाहते हैं वे सभी ‘छंटे’ हुए समझदार हैं।

• कार्टूनिस्ट चन्दर

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