शिकायत बोल

शिकायत बोल
ऐसा कौन होगा जिसे किसी से कभी कोई शिकायत न हो। शिकायत या शिकायतें होना सामान्य और स्वाभाविक बात है जो हमारी दिनचर्या का हिस्सा है। हम कहीं जाएं या कोई काम करें अपनों से या गैरों से कोई न कोई शिकायत हो ही जाती है-छोटी या बड़ी, सहनीय या असहनीय। अपनों से, गैरों से या फ़िर खरीदे गये उत्पादों, कम्पनियों, विभिन्न सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की सेवाओं, लोगों के व्यवहार-आदतों, सरकार-प्रशासन से कोई शिकायत हो तो उसे/उन्हें इस मंच शिकायत बोल पर रखिए। शिकायत अवश्य कीजिए, चुप मत बैठिए। आपको किसी भी प्रकार की किसी से कोई शिकायत हो तोर उसे आप औरों के सामने शिकायत बोल में रखिए। इसका कम या अधिक, असर अवश्य पड़ता है। लोगों को जागरूक और सावधान होने में सहायता मिलती है। विभिन्न मामलों में सुधार की आशा भी रहती है। अपनी बात संक्षेप में संयत और सरल बोलचाल की भाषा में हिन्दी यूनीकोड, हिन्दी (कृतिदेव फ़ोन्ट) या रोमन में लिखकर भेजिए। आवश्यक हो तो सम्बधित फ़ोटो, चित्र या दस्तावेज जेपीजी फ़ार्मेट में साथ ही भेजिए।
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बुधवार, 24 जुलाई 2013

तंदरुस्ती

लाइफ़बॉय है यहां तंदरुस्ती है कहाँ
दोस्तो यह कैसा मूर्खताभरा विज्ञापन प्राय: विदेशी कंपनी द्वारा टीवी पर दिखाया जाता है! लाइफ़बॉय है जहां तंदरुस्ती है वहाँ! इसका मतलब तंदरुस्ती लाइफ़बॉय से आ रही है? तो रोटी -पानी क्यूँ कर रहे हो भाई? खाना क्यूँ खा रहे हो? लाइफ़बॉय ही लगाओ तंदरुस्ती आती रहेगी। आप बताइए, तंदरुस्ती का साबुन लाइफ़बॉय हो सकता है? तंदरुस्ती का आधार दूध हो सकता है, दही हो सकता है, सब्जियाँ हो सकती हैं, चावल हो सकता है, दालें हो सकती हैं, मेवे हो सकते हैं।  यह लाइफ़बॉय कब से हुआ?
अब अकल की बात तो यही हैं न कि साबुन तंदरुस्ती का आधार नहीं होता लेकिन मूर्ख लोग फिर भी इसे खरीदते हैं। शायद आपको मालूम है लाइफ़बॉय दुनिया का सबसे घटिया साबुन है। दुनिया में 3 तरह के साबुन होते हैं। 
१. स्नान का साबुन  bath Soap
२. शौचालय/हाथ धोने का साबुन toilet Soap
३. जानवारो को नहलाने के लिए/कीटाणुनाशक साबुन  carbolic soap
लाइफ़बॉय सर्कावविदित कार्बोलिक साबुन है। कंपनी खुद इस बात को मानती है कि यह कार्बोलिक साबुन है।
यहाँ क्लिक कर जांचें- http://youtu.be/AOU3ZIrUiVM
यूरोप के देशों में लोग लाइफ़बॉय से कुते, बिल्लियां, गधों आदि जानवरों को नहलाते हैं। लेकिन भारत में ७ करोड़ लोग रोज़ लाइफ़बॉय  से नहाते है।
विदेशी कंपनिया देश में जो भी जहर बेचें लेकिन देश की भ्रष्ट सरकार और बिका हुआ मीडिया अपने मुँह में फ़ैवीकोल डाल कर बैठे हैं। इनको सिर्फ़ दूध,घी,मावा आदि में ही जहर नजर आता हैं। वो भी दिवाली या त्यौहारों के दिनों में तकि विदेशी कंपनियों के द्वारा बनायी चॉकलेट या अन्य विज्ञापित उत्पाद बिकें। इन कम्पनियों के उत्पादों के घटिया होने का प्रमाण देखना हो तो आप लाइफ़बॉय से नहाइए।  
नहाने के बाद अपनी बाजू पर नाखून से जरा सा रगड़ें। आप देखेंगे कि सफ़ेद रंग की एक लाइन खिंच गयी है।
ऐसा इसलिए हुआ इस लाइफ़बॉय के कैमिकल कचरे ने आपकी त्वचा की प्राकृतिक चिकनाहट (natural oil) को नष्ट कर दिया जिससे आपकी त्वचा रूखी और बेजान हो गई। और इस तरह अपनी रूखी और बेजान त्वचा पर अगर आप बार-बार साबुन रगड़ते जाएंगे तो एक न एक दिन आपको दाद, छाजन, खुजली (eczema) आदि चर्म रोग हो सकते हैं। यह विदेशी कंपनी का जहर लाइफ़बॉय  हैं। 
पढ़े लिखे मूर्खों को कुछ नहीं पता, बस टीवी पर विज्ञापन देखा और उत्पाद को सूंघा और घर ले आए। उसके भीतर क्या है, जानने की कोशिश प्राय: ज्यादातर लोग नहीं करते। इस मामले में बच्चों और पत्नी की पसन्द और ज़िद भी खूब चलती है। और एक बात पर ध्यान दें- विज्ञापन मे बोलते है लाइफ़बॉय मैल मे छिपे कीटाणुओं को धो डालता है। यानी लाइफ़बॉय मैल को नहीं धोता, वह मैल मे छिपे कीटाणुओ को ही धो डालता है। मारता नहीं है सिर्फ़ धोता है इसका मतलब धो -पोंछ के उनको और तंदरुस्त बना देता है। 
कृपया जरूर इस लिंक पर क्लिक कर देखे और दिखाएं- https://www.youtube.com/watch?v=AOU3ZIrUiVM 
कुम्भ मेले में ’लाफ़बॉय’ का कमाल (फ़ोटो साभार)

मंगलवार, 2 जुलाई 2013

हिन्दी

कहां गयी हिन्दी! 
आम आदमी के लिए उपलब्ध कराये गये बाबा रामदेव के ‘पतंजलि’ के उत्पाद हनी/शहद के दोनों ओर के लेबलों पर मात्र एक जगह हिन्दी का प्रयोग हुआ है, वह भी केवल पतंजलि के लोगो के रूप में।
मातृ भाषा की जय...वन्दे मातरम्!

सोमवार, 1 जुलाई 2013

कब्ज़ा

बाप का फ़ुटपाथ