शिकायत बोल

शिकायत बोल
ऐसा कौन होगा जिसे किसी से कभी कोई शिकायत न हो। शिकायत या शिकायतें होना सामान्य और स्वाभाविक बात है जो हमारी दिनचर्या का हिस्सा है। हम कहीं जाएं या कोई काम करें अपनों से या गैरों से कोई न कोई शिकायत हो ही जाती है-छोटी या बड़ी, सहनीय या असहनीय। अपनों से, गैरों से या फ़िर खरीदे गये उत्पादों, कम्पनियों, विभिन्न सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की सेवाओं, लोगों के व्यवहार-आदतों, सरकार-प्रशासन से कोई शिकायत हो तो उसे/उन्हें इस मंच शिकायत बोल पर रखिए। शिकायत अवश्य कीजिए, चुप मत बैठिए। आपको किसी भी प्रकार की किसी से कोई शिकायत हो तोर उसे आप औरों के सामने शिकायत बोल में रखिए। इसका कम या अधिक, असर अवश्य पड़ता है। लोगों को जागरूक और सावधान होने में सहायता मिलती है। विभिन्न मामलों में सुधार की आशा भी रहती है। अपनी बात संक्षेप में संयत और सरल बोलचाल की भाषा में हिन्दी यूनीकोड, हिन्दी (कृतिदेव फ़ोन्ट) या रोमन में लिखकर भेजिए। आवश्यक हो तो सम्बधित फ़ोटो, चित्र या दस्तावेज जेपीजी फ़ार्मेट में साथ ही भेजिए।
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ई-मेल: शिकायत बोल
shikayatbol@gmail.com
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शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

वाहन

पुरानी जुगाड़
राजधानी में पुलिस-ट्रेफ़िक पुलिस की नाक के नीचे ऐसी तमाम रेहड़ियां चल रही हैं जो अक्सर मुझे ही नहीं और तमाम लोगों को भी दिख जाती हैं। इनमें स्कूटर का इंजिन, एक पहिया और हैण्डिल होता है। भारी वजन लादकर भी यह अच्छी गति से चलती है। न पंजीकरण, न ड्रायविंग लायसेन्स, न प्रदूषण प्रमाण पत्र वगैरह चाहिए। बस पेट्रोल भरो, जन सेवा करो। खेद की बात यह है कि इस रेहड़ी में सरकारी गैस कम्पनी ’भारत’ गैस के सिलेण्डर लदे हैं- घर-घर वितरण के लिए। यह तय है कि ऐसी रेहड़ियां यूं ही नहीं चल रहीं भले ही कभी लोगों को इसकी बड़ी कीमत न चुकानी पड़े।

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