गौ-हत्या का अर्थशास्त्र
• सोनिया गौड़
• भारत में गाय का मांस 120/- रुपये किलो खुलेआम बिक रहा है.
• एक गाय-भैंस-बैल के कटने पर लगभग 350 किलो मांस निकलता है. चमड़े और हड्डियों की अलग से कीमत मिलती है!
• जो पशु गांव में औसतन 8000-9000/- रुपये में मिल जाते हैं और सूखे वाले प्रदेशो में तो यह 3000/- रुपये में ही मिल जाते हैं। पशु की कीमत 8000/- उसे काटने से मिला मांस 350 किलो
• भारत में उस मांस का दाम 350x120 = 42,000/- रुपये, चमड़े का दाम 1000/-
• विदेशो में निर्यात करने पर यही मांस 3 से 4 गुना दाम में बिकता है और यह निर्भर करता है कि उसे किस देश में भेजा जा रहा है|.
• किसान को मिला सिर्फ 9000/- रुपये और कत्लखाना चलाने वाले को मिले 43000 - 9000 = 34,000/- रुपये।
• भारत में एक-एक कत्लखाने में 10,000 से 15,000 पशु रोज कट रहे हैं यानी औसत 12,000 पशु रोज।
तो- एक कत्लखा मालिक एक दिन में 34000x12000 = 40,80,00,000/- (चालीस करोड़ रुपये) रोज का मुनाफा कमा रहा है।
• यदि साल में 320 दिन यह काम चले तो 40 करोड़ x 320 = 12800 करोड़ रुपये शुद्ध मुनाफा हुआ सालाना तो कत्लखाना चलाने वाला इसे क्यों बंद करेगा! उसको जबरदस्ती बंद करवाना पड़ेगा और वो काम सरकार कर सकती है. इसलिए गौरक्षक सरकार लानी होगी!
• उत्तर प्रदेश मे 8 अत्याधुनिक कत्लखानों के लिए जो टेंडर मंगवाएँ हैं उनमें ऐसी मशीनों का प्रयोग होगा जो 1 दिन में हजारों मवेशियों की 'हत्या' करेगी. एक ऐसी मशीन है जिसमें पशु को एक संकरी गली में घुसेड़ा जाता है और आखिरी सिरे पर एक दर्पण होता है मवेशी उसे छूने के लिए जैसे ही अपना सिर अंदर करता है. मशीन उसकी गर्दन को जकड़ लेती है और तुरंत उसका सिर धड़ से अलग हो जाता है।
• क्या आपको पता है की उत्तर प्रदेश में 15 कत्लखाने खोलने की अनुमति चीफ मिनिस्टर (अखिलेश यादव) ने दी है, जहां एक कत्लखाने में एक दिन में 10,000 (दस हजार) जानवरों को काटा जायेगा तो एक दिन में 15 कत्लखानों में 1,50,000 जीवों की 'हत्या' होगी।
अगर आप जीव प्रेमी हैं, तो इस Message को इतना विस्तार दें कि सभी इसके समर्थन में खड़े हो जाएँ और चीफ मिनिस्टर को अनुमति वापस लेनी पड़े!
गौरक्षा के लिए इतना तो आप कर ही सकते हैं!
लिन्क: https://www.facebook.com/soniyabgaur/posts/649359131788487
• एक गाय-भैंस-बैल के कटने पर लगभग 350 किलो मांस निकलता है. चमड़े और हड्डियों की अलग से कीमत मिलती है!
• जो पशु गांव में औसतन 8000-9000/- रुपये में मिल जाते हैं और सूखे वाले प्रदेशो में तो यह 3000/- रुपये में ही मिल जाते हैं। पशु की कीमत 8000/- उसे काटने से मिला मांस 350 किलो
• भारत में उस मांस का दाम 350x120 = 42,000/- रुपये, चमड़े का दाम 1000/-
• विदेशो में निर्यात करने पर यही मांस 3 से 4 गुना दाम में बिकता है और यह निर्भर करता है कि उसे किस देश में भेजा जा रहा है|.
• किसान को मिला सिर्फ 9000/- रुपये और कत्लखाना चलाने वाले को मिले 43000 - 9000 = 34,000/- रुपये।
• भारत में एक-एक कत्लखाने में 10,000 से 15,000 पशु रोज कट रहे हैं यानी औसत 12,000 पशु रोज।
तो- एक कत्लखा मालिक एक दिन में 34000x12000 = 40,80,00,000/- (चालीस करोड़ रुपये) रोज का मुनाफा कमा रहा है।
• यदि साल में 320 दिन यह काम चले तो 40 करोड़ x 320 = 12800 करोड़ रुपये शुद्ध मुनाफा हुआ सालाना तो कत्लखाना चलाने वाला इसे क्यों बंद करेगा! उसको जबरदस्ती बंद करवाना पड़ेगा और वो काम सरकार कर सकती है. इसलिए गौरक्षक सरकार लानी होगी!
• उत्तर प्रदेश मे 8 अत्याधुनिक कत्लखानों के लिए जो टेंडर मंगवाएँ हैं उनमें ऐसी मशीनों का प्रयोग होगा जो 1 दिन में हजारों मवेशियों की 'हत्या' करेगी. एक ऐसी मशीन है जिसमें पशु को एक संकरी गली में घुसेड़ा जाता है और आखिरी सिरे पर एक दर्पण होता है मवेशी उसे छूने के लिए जैसे ही अपना सिर अंदर करता है. मशीन उसकी गर्दन को जकड़ लेती है और तुरंत उसका सिर धड़ से अलग हो जाता है।
• क्या आपको पता है की उत्तर प्रदेश में 15 कत्लखाने खोलने की अनुमति चीफ मिनिस्टर (अखिलेश यादव) ने दी है, जहां एक कत्लखाने में एक दिन में 10,000 (दस हजार) जानवरों को काटा जायेगा तो एक दिन में 15 कत्लखानों में 1,50,000 जीवों की 'हत्या' होगी।
अगर आप जीव प्रेमी हैं, तो इस Message को इतना विस्तार दें कि सभी इसके समर्थन में खड़े हो जाएँ और चीफ मिनिस्टर को अनुमति वापस लेनी पड़े!
गौरक्षा के लिए इतना तो आप कर ही सकते हैं!
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