शिकायत बोल

शिकायत बोल
ऐसा कौन होगा जिसे किसी से कभी कोई शिकायत न हो। शिकायत या शिकायतें होना सामान्य और स्वाभाविक बात है जो हमारी दिनचर्या का हिस्सा है। हम कहीं जाएं या कोई काम करें अपनों से या गैरों से कोई न कोई शिकायत हो ही जाती है-छोटी या बड़ी, सहनीय या असहनीय। अपनों से, गैरों से या फ़िर खरीदे गये उत्पादों, कम्पनियों, विभिन्न सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की सेवाओं, लोगों के व्यवहार-आदतों, सरकार-प्रशासन से कोई शिकायत हो तो उसे/उन्हें इस मंच शिकायत बोल पर रखिए। शिकायत अवश्य कीजिए, चुप मत बैठिए। आपको किसी भी प्रकार की किसी से कोई शिकायत हो तोर उसे आप औरों के सामने शिकायत बोल में रखिए। इसका कम या अधिक, असर अवश्य पड़ता है। लोगों को जागरूक और सावधान होने में सहायता मिलती है। विभिन्न मामलों में सुधार की आशा भी रहती है। अपनी बात संक्षेप में संयत और सरल बोलचाल की भाषा में हिन्दी यूनीकोड, हिन्दी (कृतिदेव फ़ोन्ट) या रोमन में लिखकर भेजिए। आवश्यक हो तो सम्बधित फ़ोटो, चित्र या दस्तावेज जेपीजी फ़ार्मेट में साथ ही भेजिए।
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शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

वाहन

पुरानी जुगाड़
राजधानी में पुलिस-ट्रेफ़िक पुलिस की नाक के नीचे ऐसी तमाम रेहड़ियां चल रही हैं जो अक्सर मुझे ही नहीं और तमाम लोगों को भी दिख जाती हैं। इनमें स्कूटर का इंजिन, एक पहिया और हैण्डिल होता है। भारी वजन लादकर भी यह अच्छी गति से चलती है। न पंजीकरण, न ड्रायविंग लायसेन्स, न प्रदूषण प्रमाण पत्र वगैरह चाहिए। बस पेट्रोल भरो, जन सेवा करो। खेद की बात यह है कि इस रेहड़ी में सरकारी गैस कम्पनी ’भारत’ गैस के सिलेण्डर लदे हैं- घर-घर वितरण के लिए। यह तय है कि ऐसी रेहड़ियां यूं ही नहीं चल रहीं भले ही कभी लोगों को इसकी बड़ी कीमत न चुकानी पड़े।

गुरुवार, 28 अगस्त 2014

नेशनल हैरल्ड

नेशनल हेराल्ड मामला और सुब्रमण्यम स्वामी के आरोप
सोनिया गांधी और राहुल गांधी को दिल्ली की एक अदालत ने समन भेजा है। नेशनल हेराल्ड अखबार केस में सुब्रह्मणयम स्वामी की याचिका पर ये समन भेजा गया है। ये केस नेशनल हेराल्ड अखबार के कब्जे से जुड़ा हुआ है। स्वामी का आरोप है कि कांग्रेस के पैसे से नेशनल हेराल्ड को एक नई कंपनी बनाकर खरीदा गया।
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला
•नेशनल हेराल्ड की स्थापना देश के पहले प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने १९३८ में की थी। २००८ में समाचार पत्र बंद हो गया था। ये कंपनी नेशनल हेराल्ड और कौमी आवाज़ का प्रकाशन करती थी| यंग इंडियन नामक निजी कंपनी ने नेशनल हेराल्ड की संपत्ति का अधिग्रहण कर लिया। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी इस मामले को कोर्ट में लेकर चले गए। सोनिया गांधी और राहुल गांधी यंग इंडियन कंपनी में निदेशक हैं।
•सोनिया गांधी और राहुल गांधी के कंपनी में ७६ फीसदी शेयर हैं।
•अन्य शेयर कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस के हैं। स्वामी ने कहा कि यह विश्वासघात का गंभीर मामला है।
•अगर सोनिया गांधी दोषी पाई गई तो उन्हें सात साल की जेल हो सकती है। उन्हें ट्रायल का सामना करना होगा। उन्हें बतौर आरोपी समन भेजा गया है। उनके खिलाफ प्रथम दृष्ट्या सबूत हैं।
सुब्रमण्यम स्वामी के आरोप
•सुब्रमण्डयम स्वामी का आरोप है कि एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड का अधिग्रहण करने के लिए कांग्रेस के नेताओं ने यंग इंडियन कंपनी को बिना ब्याज के ऋण दिया।
•नेशनल हेराल्ड का मालिकाना हक एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड के पास था। स्वामी का आरोप है कि यंग इंडियन ने एसोसिएट जर्नल्स की ५०० करोड़ रूपए की संपत्ति हड़पने की अनुमति दी। इसके लिए ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के ९० करोड़ रूपए के फंड का इस्तेमाल किया गया।
•स्वामी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर फर्जी कंपनी चलाने और सरकारी सुविधाओं का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया। स्वामी ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। स्वामी का आरोप है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने सरकारी फर्म को निजी कंपनी में तब्दील करवा दिया और १६०० करोड़ रूपए की प्रोपर्टी हड़प ली।
•स्वामी के मुताबिक एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड के पास नेशनल हेराल्ड और कौमी आवाज समाचार पत्र का मालिकाना हक है। इस कंपनी की उत्तर प्रदेश और दिल्ली में बेशकीमती प्रोपर्टी है। स्वामी का कहना है कि यंग इंडियन की डील फर्जी थी। इसमें कई कानूनों का उल्लंघन हुआ है।
•२०१२ में सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी पर निशाना साधा था और नेशनल हेराल्ड वाली कंपनी के अधिग्रहण पर सवाल खड़े किये थे और कहा था कि इस कंपनी को कांग्रेस ने ९० करोड़ से ज्यादा का ऋण दिया था|
•स्वामी ने कहा कि एसोसिएट जर्नल्स को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति से बिना प्रतिभूति के ९० करोड़ रुपये से ज्यादा का ऋण मिला और उनका दावा है कि आयकर अधिनियम के तहत यह अवैध है क्योंकि राजनैतिक पार्टियाँ व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए ऋण नहीं दे सकतीं|
•आयकर अधिनियम की धारा १३ए और आरपीए की धारा २९ए में राजनीतिक दलों को किसी कंपनी को बिना ब्याज या ब्याज के साथ कर्ज देने का कोई प्रावधान नहीं है।’
•कांग्रेस पार्टी की ओर से ९० करोड़ का बिना जमानत का कर्ज दिया गया था, जबकि कानूनन कोई पार्टी किसी कंपनी को कर्ज नहीं दे सकती
•स्वामी का आरोप है कि कांग्रेस के कारण यंग इंडियन ने बोर्ड में प्रस्ताव लाकर सिर्फ ५० लाख रुपये में ऋण खत्म कर दिया और एसोसिएट जर्नल को शेयरों के हस्तांतरण के जरिये यंग इंडिया को बेच दिया जो अखबार या पत्रिका बेचने वाली कंपनी नहीं है|
•सुब्रमण्यम स्वामी का आरोप है कि सोनिया और राहुल ने सेक्शन २५ के तहत एक कंपनी की शुरुआत की थी जिसे यंग इंडिया नाम दिया गया| इनमे सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी का शेयर ३८-३८ फीसदी था|
•स्वामी के मुताबिक ‘यंग इंडिया’ नाम की कंपनी बना कर न सिर्फ दिल्ली, लखनऊ और उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों में अखबार के लिए सस्ती दर पर उपलब्ध करवाई गई जमीन पर कब्जा कर लिया, बल्कि इस दौरान कई कानूनों का भी जम कर उल्लंघन किया।
•राहुल गांधी की कंपनी ने दिल्ली के आइटीओ के पास अखबार चलाने के लिए दी गई कीमती जमीन पर बने ‘हेराल्ड हाउस’ को किराए पर दे दिया। जिस पर तत्कालीन विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने इसी बिल्डिंग में पासपोर्ट सेवा केंद्र का उद्घाटन किया, जिसके लिए नई कंपनी को सरकार मोटा किराया दे रही है।
•इस कंपनी ने रजिस्ट्रार को दी गई जानकारी में माना है कि कंपनी के शेयर धारकों की बैठक सोनिया गांधी के सरकारी आवास दस जनपथ में हुई। जबकि कानूनन सरकारी आवास का काम किसी व्यावसायिक काम के लिए नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस की ओऱ से जवाब- 
•नंवबर २०१२ में सुब्रमण्यम स्वामी के आरोपों का जवाब देते हुए कांग्रेस ने स्प

ष्ट किया कि हमारे लिए राजनीतिक विचारधारा क्या है यह सिर्फ हम तय करेंगे.
•कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जनार्दन दिवेदी ने कांग्रेस के राजनीतिक इतिहास की याद दिलाते हुए कहा था कि प. जवाहर लाल नेहरू एक साधारण नेता नहीं थे.
•दिवेदी ने कहा कि एसोसिएट प्रेस नेशनल हेराल्ड अखबार ने नेहरू और गांधी की विचारधारा को आगे बढ़ाने का काम किया है. और कांग्रेस ने हमेशा एसोसिएट प्रेस की मदद की है.
•कांग्रेस का कहना था कि हेराल्ड के बेरोजगार हो रहे कर्मचारियों की मदद करके कांग्रेस ने अपने राजनीतिक धर्म का निर्वहन किया.
•कांग्रेस ने स्वामी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि कांग्रेस ने जिस समय हेराल्ड ग्रुप की मदद किया उस समय वह घोर संकट के दौर से गुजर रही थी.
•उस समय उसके ३०० कर्मचारी सिर्फ दिल्ली से, ३०० कर्मचारी लखनऊ और कुल मिलाकर इससे ७०० कर्मचारी बेरोजगार हो रहे थे. ऐसे में कांग्रेस ने उन्हें ९० करोड़ का लोन देकर अपने राजनीतिक धर्म का निर्वहन किया है.
•सोनिया गांधी और राहुल गांधी द्वारा नई कंपनी यंग इंडिया बनाने और एसोसिएटेड जर्नल का अधिग्रहण करने के सवाल पर कांग्रेस का कहना था कि, ‘इस प्रकार की धारणा बनाई जा रही है कि यंग इंडिया ने द एसोसिएटेड जर्नल को अधिग्रहित किया और अब यह वाणिज्यिक उद्यम बनेगा।’ उन्होंने कहा, ‘एसोसिएटेड जर्नल का अस्तित्व समाप्त नहीं हुआ है।
•यंग इंडिया को केवल इसकी हिस्सेदारी मिली है। कोई भी संगठन तब तक अपना अस्तित्व बनाए रख सकता है जब तब वह अपने उद्देश्यों को पूरा करता है।’

धर्मान्तरण

मंदिर में बदल गया चर्च 

वाल्मीकि समुदाय के 72 लोग हिंदू धर्म में लौटे

• इरम आगा, अलीगढ़
अलीगढ़ में सेवंथ डे एडवेंटिस्ट्स से जुड़ा एक चर्च रातोरात शिव मंदिर में तब्दील हो गया। 1995 में हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई बने वाल्मीकि समाज के 72 लोगों ने फिर से हिंदू धर्म अपना लिया। जिस चर्च में पहले क्रॉस लगा था, उसे हटाकर वहां पर शिव की तस्वीर लगा दी गई है। हिंदू संगठन इसे 'घर वापसी' करार दे रहे हैं।
मंगलवार को अलीगढ़ से 30 किलोमीटर दूर असरोई में चर्च के अंदर व्यापक स्तर पर शुद्धिकरण किया गया। 19 साल पहले ईसाई बने 72 लोगों ने हिंदू धर्म अपना लिया। बताया जा रहा है कि इस चर्च में लगे क्रॉस को हटाकर गेट के बाहर रख दिया गया है और अंदर शिवजी की तस्वीर लगा दी है। जैसे ही इन लोगों के एक बार फिर हिंदू धर्म स्वीकार करने की खबर फैली, इलाके में तनाव फैलना शुरू हो गया। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट मौके पर पहुंच गई। कुछ ग्रामीणों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि अब शिव की तस्वीर को भी हटाकर एक घर में रख लिया गया है।
संघ प्रचारक और धर्म जागरण संगठन के प्रमुख खेम चंद्र ने कहा, 'इसे धर्मांतरण नहीं, घर वापसी कहते हैं। वे अपनी मर्जी से हिंदू धर्म छोड़कर गए थे और जब उन्हें लगा कि उन्होंने गलती की है, तो वे वापस आ गए।' 72 वाल्मीकियों के पुनर्धर्मांतरण पर खेम ने कहा, 'हम उनका स्वागत करते हैं। हम अपने समाज को बिखरने नहीं देंगे, हमें इसे समेटकर रखना होगा।' खेम ने कहा कि ये लोग कई सालों से ईसाई धर्म मान रहे थे। मैं इनसे कई बार मिला और इनसे अपने फैसले पर एक बार फिर से विचार करने को कहा।
एक बार फिर हिंदू धर्म में लौटे अनिल गौड़ का कहा है, 'हम जाति व्यवस्था से परेशान थे और इसी वजह से हमने अपना धर्म बदला था। लेकिन हमने पाया कि ईसाइयों के बीच भी हमारी स्थिति कुछ ठीक नहीं है। हिंदू थे, तब हमारा कोई स्तर नहीं था और हमें छोटे काम करने तक सीमित रहना पड़ता था। 19 साल तक हम ईसाई रहे, लेकिन हमने पाया कि वे भी हमारी कम्यूनिटी की मदद करने नहीं आए। बड़े दिन की कोई सेलिब्रेशन नहीं होती थी। बस मिशनरियों ने एक चर्च बना दिया। और कुछ नहीं।'
चर्च में शिव की तस्वीर लगाते युवक।
78 साल के राजेंद्र सिंह कहते हैं कि वह वापस हिंदू धर्म में आकर बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा, 'एक दिन मैं चर्च के बाहर सोया था कि मुझे पैरालिसिस का अटैक हो गया। मैं हिल तक नहीं पा रहा था। मुझे यह पिछले साल हुआ था। तब से लेकर आज तक मैं सोच रहा हूं कि यह मुझे माता देवी ने सजा दी है अपना विश्वास छोड़ने के लिए।'
अलीगढ़ में वकील और ईसाई समुदाय के नेता ओजमंड चार्ल्स इन बातों से सहमत नहीं होते। उन्होंने कहा, 'घर वापसी मुझे एक साजिश लगती है। कभी हम 'लव जिहाद' का शोर सुनते हैं और अब 'घर वापसी' की बात हो रही है। क्या यह हिंदू राष्ट्र बनाने के संकेत हैं? सिटी मेथडिस्ट चर्च के फादर भी इस खबर से नाराज दिखे। उन्होंने कहा, 'यह शुद्धिकरण पूजा उस चर्च के अंदर हुई, जो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट्स से जुड़ा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। विश्वास व्यक्तिगत मामला है लेकिन चर्च के अंदर हवन नहीं।'
इस बीच असरोई गांव में अगर कोई किसी से पुनर्धर्मांतरण के बारे में पूछता है, तो लोग अपने घरों मे चले जाते हैं तो कुछ कहते हैं कि उन्हें इस बारे में कुछ नहीं मालूम। साथ ही इलाके में पुलिस की मौजूदगी से लोगों में बेचैनी बढ़ गई है।
सौजन्य: नवभारत टाइम्स

बुधवार, 27 अगस्त 2014

बर्गर

मैकडोनल्ड में मिले फंगस लगे ब्रेड
एक ब्रेड के पैकेट को जैसे ही खोला गया तो उसमें फंगस मिला। इसके बाद सात सौ ब्रेड देखे गये तो सब में फंगस ही मिले। 
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फंगस लगे ब्रेड की जांच करते अधिकारी
इलाहाबाद में इंटरनैशनल ब्रैंड मैकडोनल्ड में फंगस लगे ब्रेड का बर्गर मिल रहा है। खाद्य विभाग की टीम ने जब इस मैकडोनल्ड में छापा मारा तो सैकड़ों की संख्या में फंगस लगे ब्रेड मिले। इसी ब्रेड का बर्गर बनाकर ग्राहकों को सप्लाइ किया जा रहा था।
सोमवार की रात को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग के सिविल लाइंस स्थित मैकडोनल्ड रेस्ट्रॉन्ट में छापे के दौरान 780 फंगस लगे ब्रेड मिले। रेस्ट्रॉन्ट में मौजूद तमाम ग्राहकों ने यह नजारा देखा, तो उनके लिए भी विश्वास करना मुश्किल हो रहा था। फंगस लगे ब्रेड देखकर ज्यादातर लोगों ने खाना छोड़कर चले जाना ही ठीक समझा।

खाद्य सुरक्षा और औषधि विभाग के अधिकारी हरिमोहन की अगुवाई में मैकडोनल्ड में जिस समय टीम जांच के लिए पहुंची, उस समय रेस्ट्रॉन्ट पूरी तरह से भरा हुआ था। टीम ने खाने-पीने की वस्तुओं का निरीक्षण शुरू किया तो उनकी नजर ब्रेड के पैकेटों पर पड़ी।
इन ब्रेड पर सितंबर माह की एक्सपायरी डेट पड़ी थी। एक ब्रेड के पैकेट को जैसे ही खोला गया तो उसमें फंगस मिला। इसके बाद सात सौ ब्रेड देखे गये तो सब में फंगस ही मिले। खाद्य विभाग ने ब्रेड का नमूना लिया और फिलहाल मैकडोनल्ड को नोटिस जारी कर दिया है।
सौजन्य- लिन्क: नवभारत टाइम्स | Aug 27, 2014

शुक्रवार, 22 अगस्त 2014

धर्मान्तरण

यह क्या-क्यों हो रहा है भैया
कश्मीर घाटी में २० साल पहले ५०% हिंदू थे, आज एक भी हिंदू नहीं बचा ! केरल में १० साल पहले तक ६०% जनसंख्या हिन्दुओ की थी, आज सिर्फ १०% हिंदू केरल में है। कहां गये वे हिन्दू ? पूर्वोत्तर यानी नॉर्थ-ईस्ट (सिक्किम, नगालैंड, मिजोरम, असम आदि) में हिन्दुओं का तेजी से धर्मपरिवर्तन होता रहा हैं। हिंदू हर रोज मारे या भगाए जाते रहे हैं। उन्हें सुरक्षा नहीं मिली।
देश की राजधानी में भी मिशनरियां बड़े चालाकी भरे अन्दाज़ में सक्रिय हैं। अब अनेक सालों से धर्मान्तरण करने वाले व्यक्ति का जाति नाम या उपनाम नहीं बदला जाता। जैसे पहले धर्मान्तरण के बाद राम लुभाया चौधरी का नाम राम लुभाया डिसूजा या जॉर्ज वगैरह हो जाता था। अब उसका नाम राम लुभाया चौधरी ही बना रहेगा। 
गम्भीर हालत में अस्पतालों के आईसीयू में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों की स्थिति और भावनाओं का शोषण करते हुए ४-६ मिशनरी के लोग प्रार्थना करते हैं। कुछ ही देर में प्रार्थना में ‘परमेश्वर" शामिल हो जाते हैं। यदि मरीज ठीक हो गया तो ये लोग उसके घर जाकर प्रार्थना करने पर जोर देते हैं। ज्यादातर लोग मान जाते हैं क्योंकि मरीज उनकी प्रार्थना से ही ठीक हुआ है- ऐसा उन्हें बताया जाता है। कई मामलों में धर्मान्तरण कराने में सफ़लता मिल जाती है। तमाम बड़े अस्पतालों में ड्यूटी कर रहे नर्सिंग स्टाफ़, वार्ड ब्वाय और डॉक्टरों में बड़ी संख्या धर्मान्तरित पूर्वोत्तर राज्यों व दक्षिण भारतीयों (केरल, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश आदि) की है। ये और अस्पताल स्टाफ़ के कुछ लोग भी मिशनरियों को पर्याप्त सहयोग देते हैं। ये लोग अपने अभियान की सफ़लता हेतु हिन्दू देवी-देवताओं का नाम शामिल करना भी नहीं भूलते।
यहां लिखे का मैं स्वयं प्रमाण हूं। (चित्र: साभार)

गुरुवार, 21 अगस्त 2014

गौवंश

गौ माता
गाय को माता मानने वाले लोग एक खास वर्ग की तरफ नफरत की भावना से भी देखते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि इन लोगों के ‘अपने’ ही सबसे ज्यादा गौ हत्याएं करते हैं। जी हां, सड़कों पर आप इधर-उधर घूमती जिन गायों को देखते हैं, उन्हें इसलिए आवारा छोड़ दिया गया होता है क्योंकि वे किसी काम की नहीं होतीं। जो गायें प्रजनन नहीं कर पातीं या बूढ़ी हो जाती हैं उन्हें बोझ समझा जाने लगता है। गायों को दूध के लिए पालते हैं लोग। अब अगर गाय दूध नहीं देगी, तो फिर वो उनके किस काम की? इसलिए इन ‘नकारी’ माताओं को लावारिस छोड़ दिया जाता है। ये माताएं सड़कों पर कूड़े के ढेर में मुंह मारती हैं और लोगों की गालियां सुनते हुए, मार खाते हुए इधर से उधर भागती रहती हैं। थक हारकर एक दिन ये माताएं दर्दनाक मौत मर जाती हैं। यह भी तो गौ हत्या ही है, फर्क बस इतना है कि हत्या के बाद इनका मांस नहीं खाया जाता।
हैरानी इस बात की है कि यह सब गाय को माता मानने वालों की आंखों के सामने होता है। कहीं गाय की हत्या होती है, तो लोगों की भावनाएं आहत हो जाती हैं। क्या सड़क पर ये मंजर देखकर उनकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचती? अगर वे गाय को माता मानते हैं, तो गाय की ऐसी दुर्गति कैसे देख सकते हैं? क्या यही है मां के लिए उनकी इज्जत? मैं जानती हूं कि इन सवालों के जवाब में वे लोग अपनी मजबूरियां गिनाएंगे। गाय को लेकर सिर्फ राजनीति ही नहीं होती, गोरखधंधा भी चलता है। गाय की सेवा के नाम पर न जाने कितने सदन, समितियां, संस्थाएं वगैरह बनी हैं, लेकिन वे गायों के लिए कुछ भी नहीं करतीं। सच यह है कि हम अपनी जीवन में दोहरे मापदंड अपनाते हैं। गाय को माता मानना भी इसका एक उदाहरण है। स्वार्थ है तो गाय माता है, वरना एक जानवर।

• अनिल ठाकुर/फ़ेसबुक



शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

गुरुवार, 14 अगस्त 2014

आज सुबह

हम कब सुधरेंगे 
आज काफ़ी दिनों के बाद निकट के जनकपुरी जिला उद्यान यानी डिस्ट्रिक्ट पार्क (दिल्ली में ही) जाकर डेड़-दो घण्टे बैठने का अवसर मिला। जमकर ऑक्सीजन का सेवन किया। एक सप्ताह पहले तक घर पर मशीन/सिलेण्डर का उपयोग करना पड़ रहा था। यह देखकर कष्ट होता है कि हम खुद को बदल नहीं पाते। या कहें कि ’कौन देखता है!’ सोचकर उचित-अनुचित कुछ भी करते रहते हैं। अब देखिए, पार्क साफ़ सुथरा हो तो अच्छा लगता है। अपने घर में हम ऐसा क्यों नहीं करते? वह हमारा घर है इसीलिए न! यहां थैलियां, गिलास, नाना प्रकार के पाउच आदि कूड़ा-कचरा तो है ही, लोगों ने इसे दारूबाजी का अड्डा भी बना डाला है। एक सेवा (शायद) निवृत सज्जन पास ही खुले आम निवृत हो रहे हैं। यहां कुत्तों द्वारा मस्ती मारना तो मामूली बात है। हम कब सुधरेंगे/बदलेंगे...शायद कभी नहीं...
युवा पीढ़ी का फ़ुटबाल प्रेम