जब बारूद लगा अखबारों की बिल्डिंगें उड़ाई गयीं
सरकार को भी सोचना चाहिए कि अखबारों को सस्ती दर पर जमीनें क्यों दी जाएं?
अखबार वैसे तो एक मिशन के रूप में जाना जाता रहा है जिसका काम आम लोगों के हित साधना है लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में अब यह एक व्यवसाय का रूप ले चुका है। आम आदमी के मन में भी अखबार के प्रति यही सोच बलवती होने लगी है तो इसकी वजह बड़े अखबारों का व्यवहार है जो अखबार के लिए दी गई सरकारी जमीन के उपयोग से सीधे परिलक्षित होती है। अमृत संदेश हो या नवभारत, देशबंधु हो या दैनिक भास्कर यहां तक कि तरुण छत्तीसगढ़ से लेकर छत्तीसगढ़ में यही हाल है। अखबार के दफ्तर कम काम्पलेक्स नजर आने वाले ये मीडिया वाले भले गलतफहमी पाल ले कि इससे आम लोग में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन लोग जानते हैं कि अखबार खोलने के नाम पर दी गई सरकारी जमीनों को दादागिरी के दम पर कैसे काम्पलेक्स में बदला जा रहा है।
पिछले कुछ दिनों से भास्कर के १४ माले के काम्पलेक्स की राजधानी में जमकर चर्चा है और यह भी कहा जा रहा है कि इसके भूउपयोग से लेकर नक्शे तक की स्वीकृति में जमकर दादागिरी चली है और यह चर्चा सच है तो सरकार को भी सोचना चाहिए कि अब अखबारों को सस्ती दर पर जमीनें क्यों दी जाए।
एक अखबार वाले ने तो नई राजधानी में ही नए प्रेस काम्पलेक्स का प्रस्ताव बना लिया है जबकि शुक्ला पेट्रोल पम्प को दूसरे जगह जमीन देने पर बस स्टैण्ड की जमीन खाली करने की खबरें इसी के यहां सबसे यादा छपती रही है।
प्रस्तुतकर्ता: लिन्क- कौशल तिवारी 'मयूख'
देश की राजधानी दिल्ली में भी यही हाल है।
शिकायत बोल
शिकायत बोल
ऐसा कौन होगा जिसे किसी से कभी कोई शिकायत न हो। शिकायत या शिकायतें होना सामान्य और स्वाभाविक बात है जो हमारी दिनचर्या का हिस्सा है। हम कहीं जाएं या कोई काम करें अपनों से या गैरों से कोई न कोई शिकायत हो ही जाती है-छोटी या बड़ी, सहनीय या असहनीय। अपनों से, गैरों से या फ़िर खरीदे गये उत्पादों, कम्पनियों, विभिन्न सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की सेवाओं, लोगों के व्यवहार-आदतों, सरकार-प्रशासन से कोई शिकायत हो तो उसे/उन्हें इस मंच शिकायत बोल पर रखिए। शिकायत अवश्य कीजिए, चुप मत बैठिए। आपको किसी भी प्रकार की किसी से कोई शिकायत हो तोर उसे आप औरों के सामने शिकायत बोल में रखिए। इसका कम या अधिक, असर अवश्य पड़ता है। लोगों को जागरूक और सावधान होने में सहायता मिलती है। विभिन्न मामलों में सुधार की आशा भी रहती है। अपनी बात संक्षेप में संयत और सरल बोलचाल की भाषा में हिन्दी यूनीकोड, हिन्दी (कृतिदेव फ़ोन्ट) या रोमन में लिखकर भेजिए। आवश्यक हो तो सम्बधित फ़ोटो, चित्र या दस्तावेज जेपीजी फ़ार्मेट में साथ ही भेजिए।
ऐसा कौन होगा जिसे किसी से कभी कोई शिकायत न हो। शिकायत या शिकायतें होना सामान्य और स्वाभाविक बात है जो हमारी दिनचर्या का हिस्सा है। हम कहीं जाएं या कोई काम करें अपनों से या गैरों से कोई न कोई शिकायत हो ही जाती है-छोटी या बड़ी, सहनीय या असहनीय। अपनों से, गैरों से या फ़िर खरीदे गये उत्पादों, कम्पनियों, विभिन्न सार्वजनिक या निजी क्षेत्र की सेवाओं, लोगों के व्यवहार-आदतों, सरकार-प्रशासन से कोई शिकायत हो तो उसे/उन्हें इस मंच शिकायत बोल पर रखिए। शिकायत अवश्य कीजिए, चुप मत बैठिए। आपको किसी भी प्रकार की किसी से कोई शिकायत हो तोर उसे आप औरों के सामने शिकायत बोल में रखिए। इसका कम या अधिक, असर अवश्य पड़ता है। लोगों को जागरूक और सावधान होने में सहायता मिलती है। विभिन्न मामलों में सुधार की आशा भी रहती है। अपनी बात संक्षेप में संयत और सरल बोलचाल की भाषा में हिन्दी यूनीकोड, हिन्दी (कृतिदेव फ़ोन्ट) या रोमन में लिखकर भेजिए। आवश्यक हो तो सम्बधित फ़ोटो, चित्र या दस्तावेज जेपीजी फ़ार्मेट में साथ ही भेजिए।
गुरुवार, 17 जून 2010
गुरुवार, 10 जून 2010
एमटीएस ब्लेज़
एमटीएस ब्लेज़: सबसे महंगी इण्टरनेट सेवा
कुछ समय पहले मैंने बहु प्रचारित एमटीएस ब्राण्ड का बेतार का 3400 रुपये मूल्य का इण्टरनेट उपकरण लिया था। योजना के अनुसार कम्पनी की ओर से 1500 रुपये मूल्य की सर्फ़िंग मुफ़्त थी। यह ’मुफ़्त’ सेवा खत्म होने के बाद मैंने 200 एमबी का 198 रुपये मूल्य का छोटा रिचार्ज कराया। यह देखकर मुझे आश्चर्य हुआ कि 2-3 ई-मेल भेजने और कुछ वेबसाइटें देखने में लगे 35-40 मिनिट में ही 100 एमबी खर्च हो गये। सम्बन्धित डीलर को भी इस बारे में बताया तो उसे भे आश्चर्य हुआ, उसने अपने कम्प्यूटर पर इस बात की जांच भी की और पाया कि 200 एमबी में से अब मात्र 28 एमबी बचे हैं। उसने कम्पनी को फ़ोन कर इस बारे में बताने को कहा। 2-4 बार इण्टरनेट खोलने बन्द करके देखने पर पता चला कि इसमें भी हर बार 1-3 एमबी खर्च हो जाते हैं। इस प्रकार लगभग 1 घण्टे में 200 रुपये की एमटीएस की तेज इण्टरनेट सेवा का भरपूर आनन्द मैंने प्राप्त किया। एमटीएस से सम्पर्क करने के लिए अनेक बार फ़ोन किया। इस सेवा में इतने पुंछल्ले हैं कि ग्राहक परेशान होकर पीछा छोड़ दे साथ ही फ़ोन करने में खर्च भी करे। अन्त में एमटीएस के ’कष्ट मर’ केयर और अन्य सम्बन्धित व्यक्तियों को ई-मेल किया गया।
मैं एमटीएस की इण्टरनेट सेवा का आनन्द लेना चाहूं तो एक नौकरी सिर्फ़ एमटीएस के लिए करनी पड़ेगी क्योंकि यदि मैं कम से कम 2 घण्टे सर्फ़िंग करता हूं (इसमें डाउन लोडिंग शामिल नहीं है) तो मुझे लगभग 400 रुपए यानी एक महीने में 12000 या उससे भी अधिक राशि खर्च करनी होगी। एमटीएस सीडीएमए आधारित सेवा है जो इतनी महंगी है। इसकी टैरिफ़ ही खतरनाक है जिसमें अनलिमिटेड का विकल्प नहीं है। गलती यही हुई कि पूरी जानकारी प्राप्त किए बिना मैंने एमटीएस पर भरोसा करके यह सेवा ले ली। सबसे महंगी एमटीएस (उपभोक्ता संख्या एमटीएस ब्लेज़- 9136951473) को भेजे गये ई-मेल का आजतक कोई जवाब नहीं आया है।
देश में आम आदमी को सस्ती और स्तरीय इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने की दिशा में यह कैसी कोशिश है? लगभग हर सेवा प्रदाता की टैरिफ़ ही पेचीदा दिखाई देती है। इसे सरल और सस्ता बनाया जाना चाहिए।
ई-मेल: custumercare.del@mtsindia.in, nodal.del@mtsindia.in, appellate.del@mtsindia.in
वरुण कुमार, नयी दिल्ली
कुछ समय पहले मैंने बहु प्रचारित एमटीएस ब्राण्ड का बेतार का 3400 रुपये मूल्य का इण्टरनेट उपकरण लिया था। योजना के अनुसार कम्पनी की ओर से 1500 रुपये मूल्य की सर्फ़िंग मुफ़्त थी। यह ’मुफ़्त’ सेवा खत्म होने के बाद मैंने 200 एमबी का 198 रुपये मूल्य का छोटा रिचार्ज कराया। यह देखकर मुझे आश्चर्य हुआ कि 2-3 ई-मेल भेजने और कुछ वेबसाइटें देखने में लगे 35-40 मिनिट में ही 100 एमबी खर्च हो गये। सम्बन्धित डीलर को भी इस बारे में बताया तो उसे भे आश्चर्य हुआ, उसने अपने कम्प्यूटर पर इस बात की जांच भी की और पाया कि 200 एमबी में से अब मात्र 28 एमबी बचे हैं। उसने कम्पनी को फ़ोन कर इस बारे में बताने को कहा। 2-4 बार इण्टरनेट खोलने बन्द करके देखने पर पता चला कि इसमें भी हर बार 1-3 एमबी खर्च हो जाते हैं। इस प्रकार लगभग 1 घण्टे में 200 रुपये की एमटीएस की तेज इण्टरनेट सेवा का भरपूर आनन्द मैंने प्राप्त किया। एमटीएस से सम्पर्क करने के लिए अनेक बार फ़ोन किया। इस सेवा में इतने पुंछल्ले हैं कि ग्राहक परेशान होकर पीछा छोड़ दे साथ ही फ़ोन करने में खर्च भी करे। अन्त में एमटीएस के ’कष्ट मर’ केयर और अन्य सम्बन्धित व्यक्तियों को ई-मेल किया गया।
मैं एमटीएस की इण्टरनेट सेवा का आनन्द लेना चाहूं तो एक नौकरी सिर्फ़ एमटीएस के लिए करनी पड़ेगी क्योंकि यदि मैं कम से कम 2 घण्टे सर्फ़िंग करता हूं (इसमें डाउन लोडिंग शामिल नहीं है) तो मुझे लगभग 400 रुपए यानी एक महीने में 12000 या उससे भी अधिक राशि खर्च करनी होगी। एमटीएस सीडीएमए आधारित सेवा है जो इतनी महंगी है। इसकी टैरिफ़ ही खतरनाक है जिसमें अनलिमिटेड का विकल्प नहीं है। गलती यही हुई कि पूरी जानकारी प्राप्त किए बिना मैंने एमटीएस पर भरोसा करके यह सेवा ले ली। सबसे महंगी एमटीएस (उपभोक्ता संख्या एमटीएस ब्लेज़- 9136951473) को भेजे गये ई-मेल का आजतक कोई जवाब नहीं आया है।
देश में आम आदमी को सस्ती और स्तरीय इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने की दिशा में यह कैसी कोशिश है? लगभग हर सेवा प्रदाता की टैरिफ़ ही पेचीदा दिखाई देती है। इसे सरल और सस्ता बनाया जाना चाहिए।
ई-मेल: custumercare.del@mtsindia.in, nodal.del@mtsindia.in, appellate.del@mtsindia.in
वरुण कुमार, नयी दिल्ली
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